शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

              खुद की प्रतिमा लगवाना और उस पर फूल चढ़ाना ,ये केवल मायावती जी ही कर सकती है |                                                                                                                                                                आज मायावती जी ने ७०० करोड़ रुपये के पार्क का लोकार्पण किया | ये पार्क उस मायावती जी ने बनवाया है जो राजनीति में गरीब लोगो ,दलितों के कन्धों पर चढ़ कर आगे बढ़ी है ,उन गरीबों के जिनके पास रोटी नहीं है ,मकान नहीं है ,जिनके घर की औरतें खुले में शौच करती है उनके घर में बाथरूम नहीं है ,जिनके गांवों और मुहल्लों में स्कूल नहीं है बीमारी में इलाज के लिए कोई साधन नहीं है | ७०० करोड़ नॉएडा का और हजारों करोड़ लखनऊ का और लाखों करोड़ पता नहीं कहा कहा का इन पैसों से से गरीबों के लिए ,दलित जातियों के लिए क्या क्या बन सकता था ? विचार करे तथा विचार रखे | उनके समर्थक कह देंगे की दिल्ली में कई स्मारक है पर वहा जाकर देखिये जीवन के लिए जरूरी हरियाली है केवल और बस नाम के लिए कुछ फुट का स्मारक बना दिया गया है |लेकिन दुनिया के बादशाहों को छोड़ दीजिये तो किसी जीवित व्यक्ति ने खुद की पतिमा तो कभी नहीं लगाया | खुद का स्मारक बनवाने की कोई जीवित व्यक्ति तो सोच भी नहीं सकता है और खुद अपनी प्रतिमा पर फूल चढाने का क्या अर्थ निकला जाये ? धन्य हो सलाहकार और उत्तर प्रदेश के महान अफसर | इन सबकी महानता को सलाम |

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