चेहरे नही इंसान पढ़े जाते है ,मजहब नही ईमान पढ़े जाते है |भारत ही ऐसा देश है जहा एक साथ ,गीता और कुरान पढ़े जाते है |इन्होने हमारी एकता को नही तोडा है .अतः हमें एक साथ खड़ा रहना होगा ,ना मस्जिद ना मंदिर ,बस एक देश भारत और हम भारतीय |
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
अच्छी पंक्तिया ........
जवाब देंहटाएंइसे पढ़े, जरुर पसंद आएगा :-
(क्या अब भी जिन्न - भुत प्रेतों में विश्वास करते है ?)
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_23.html