शनिवार, 11 सितंबर 2010

 मन बहुत अशांत है ,समाज विरोधी ,मानवता विरोधी , देश विरोधी लोग फिर दंगे कि साजिश कर रहे है | एक फैसला आना है ,अदालत का फैसला |ऐसे मामले में जिसमे एक बार देश दंगो कि आग में झुलस चुका है |चारो तरफ बस चीख पुकार ,हत्याएं ,बलात्कार ,लूट पाट ,बस मौत का तांडव ,आग ही आग |लेकिन एक बार कुछ लोग कामयाब हो गए |दंगे ,बलात्कार ,खून और आग ने उनकी सरकार बनवा दी |फिर मुद्दा भूल गए ,जहा जो मिला टूट पड़े जर ,जोरू या जमीन |एक समय तों ऐसा आ गया था कि सभी शहरो में कहावत चल पड़ी थी कि जमीन ख़ाली मत छोडो ताला लगा दो वरना जन्मभूमि भक्त कब्ज़ा कर लेंगे |जो संगठन अपने को आदर्श कहता था उसके लोग सीडी में नारी या मातृशक्ति का उद्धार करते दिखलाई दिए | संगठन के अध्यक्ष पद पर बैठा व्यक्ति टी वी पर घूस लेता दिखलाई दिया | मंदिर का सबसे बड़ा अलमबरदार गृहमंत्री के पद बैठा तों टी वी पर यह कहता दिखलाई दिया कि एक मंदिर के लिए हम सरकार नही गवा सकते | कश्मीर में झंडा फहराने निकलने वाला पूर्व अध्यक्ष मंत्री पद पाते ही कश्मीर ,धारा ३७० ,समान कानून सब भूल गया | विदेश मंत्री पद पर बैठा सूरमा सेना के जहाज से हजारो के कातिल को और सबसे बड़े आतंकवादी को सैकड़ो करोड़ रूपये के साथ, आदर के साथ उसके घर पहुँचने चला गया | आदर्श हिन्दू नेताओ को झींगा मछली का स्वाद लेते हुए भी हिन्दू समाज ने देखा ,तथाकथित साधू संतो को हजारो एकड़ जमीने हथियाते हुए भी देश ने देखा | दुशमन देश कि छाती पर चढ़ आया और इन देश भक्तो कि सरकार को सोते हुए देश ने देखा ,जिसमे बड़े पैमाने पर देश के जवानो को क़ुरबानी देनी पड़ी तब वह हमारी जमीन आजाद हो पाई ,जवानो ने कहा कि यदि नीचे से ऊपर बैठे हुओ से युद्ध में बोफोर्स तोप नही होती तों लड़ाई मुश्किल थी और यह कह कर इन देश भक्तो कि सरकार में जिस राजीव गाँधी पर इन सबने तोहमते लगे थी उसकी जिंदाबाद करते देखा | इन सूर्माओ कि सरकार में की सरकार में कफ़न से लेकर ताबूत तक के घोटालो को देश ने देखा | जिनका दावा है की उनका संगठन गली गली में फैला है ,वे देश की रक्षा के लिए कटिबद्ध है उनकी सरकार में चार छोकरे तमन्च्चे लेकर देश की अस्मिता और सत्ता तथा सार्वभौमिकता के प्रतीक संसद में घुस आये और इन्हें मेजो के नीचे छुपते हए देखा तब भी गरीबो के घर के नौजवानों ने प्राण की आहुति देकर उसकी रक्षा किया जिन गरीबो से ये नफ़रत करते है क्योकि इनके समर्थक और आधार ही जमाखोर और मुनाफाखोर जमात के लोग है| क्या क्या बताये पूरी सरकार गंध मारने लगी थी | मौका लगते ही देश ने ,जनता ने सबक सिखाया और औकात पर पहुंचा दिया | देश ने अभी यह भी देखा की जिस शिबू सोरेन के कारण इन लोगो ने हफ्तों संसद नही चलाने दिया था ,अब उसी से हाथ मिला कर सरकार बना लिया | सरकार जाने के बाद इनकी पोल फिर खुली बम्बई के हमले के समय ,वहा भी ये और इनका सूरमा संगठन कही दिखलाई नही पड़ा |१९७७ की पहली सरकार में जब ये शामिल थे तों उस समय के लोगो को याद होगा की पहली शपथ में इनके आदमी को उद्द्योग मंत्री बनाया गया था ,तब भी उस माहौल की बनी सरकार में भी इनके उस आदमी ने भ्रस्टाचार कर दिया ,जिसके कारण उसका विभाग बदल कर वह विभाग जोर्ज को दिया गया था |उस घटना का जिक्र मै करना नही चाहता था ,क्योकि पता नही वह व्यक्ति सफाई देने को जिन्दा है या नही ,और समाज की व्यवस्था है की दिवंगतो के बारे में कुछ नही कहा जाता है ,पर मुझे देश को इनका असली चेहरा दिखाने के लिए यह सब याद दिलाना पद रहा है | दीनदयाल उपाध्याय की हत्या को खोलने की ये कभी मांग नही करते है और ना चाहते है ,क्योकि ये इनके कट्टर विचारो का विरोध करने का मन बना चुके थे और अगली जगह पहुँच कर वह शायद ऐसा करने वाले थे | सुबहा होता है की उनकी मौत कुछ उन्ही के कट्टर लोगो ने तों नही कर दिया था क्योकि जो लोग गाँधी जी की हत्या कर सकते है ये कायराना तरीके से किसी की भी हत्या कर सकते है | ये सब इतिहास की बाते है और इतिहास के गर्भ में है ,लेकिन इतिहास लिखा ही इसीलिए जाता है की पीढ़िया पढ़े ,याद रखे और सबक ले की अब वह सब नही होने देंगे | आपातकाल जिसको लेकर ये बहुत गाना गाते है और छाती चौड़ी करने की कोशिश करते है ,देश भूला नही है की चार दिन में ही एक लाख से अधिक ये सूरमा माफ़ी मांग कर और सरकार की नीतियों में आस्था प्रकट कर जेलों से घर पहुँच गए थे तथा ज्योही आपातकाल ख़त्म हुआ दाढ़ी बढ़ा कर आ गए कहते हुए की हम तों फरार थे ,देश ने ये सब देखा है | मंदिर के मामले में जब चंद्रशेखर जी की सरकार में वार्तालाप एक निष्कर्ष पर पहुँच गया था और फैसला होने वाला था समझौते का तों आपस में राय करने की बात कर ये लोग बाहर गए फिर लौट कर ही नही आये ,क्योकि बाहर राय हुई की मुद्दा ही समाप्त  हो जायेगा तों फिर राजनीति करने के लिए क्या रह जायेगा | अपनी सरकार में देश से वादा करने के बावजूद ,सर्वोच्च न्यायलय में हलफनामा देने के बावजूद इन्होने कानून व्यवस्था के लिए और देश की साझा विरासत को बचाने के लिए कुछ नही किया | इन्होने देश देश का कानून भी तोडा ,संविधान को नाकारा और देश का दिल भी तोडा |खैर जब कोई बात नही बनी तों पूरे देश ने कहा की या तों बात से मामला सुलझ जाये या फिर अदालत निर्णय कर दे | देश की उसी भावना के अंतर्गत इतनी लम्बी सुनवाई के बाद अब फैसला आने की घडी आ गयी है तों ये सूरमा फिर कुलबुलाने लगे है ,तरह के ढोंग और व्यूहरचना शुरू कर दिया है की दंगा कैसे भड़काया जाये |इसी देश की कहावत है की काठ हांड़ी केवल एक बार चढ़ती है ,शायद इन्हें याद नही है |
यह देश दंगा नही केवल विकास कहता है ,देश को ताकतवर चाहता है और चाहता है की अमन चैन कायम रहे |इसलिए वह अब इनके साथ नही है| देश इनको समझने लगा है पर फिर भी इनसे सावधान रहने की आवश्यकता है |आइये मिलजुल कर ऐसा माहौल बनाये कि ये घिनौने इरादों में  कामयाब ना हो पाये |१-कण, कण में बसे है अपने आदर्श राम ,हो सके तों उन्हें छोटे वृत्त में ना डालिए ,अपनी जन्म भूमि राम जी सम्हाल लेंगे ,हो सके तों आप मातृभूमि को सम्हालिए |2-धर्म को अगर राजनीति से जोड़ा जायेगा ,बस्ती बस्ती अश्वमेघ का घोडा जायेगा ,राम राज्य स्थापित करने वालो से पूछो ,सीता को क्या फिर से वन में छोड़ा जायेगा |३-साधू जो सचमुच साधू है उन्हें समझाना चाहिए की ---बादशाहों से फकीरों का बड़ा था मर्तबा ,लेकिन जब तक उनका सियासत से कोई मतलब ना था |  जय हिंद

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