बुधवार, 8 सितंबर 2010

कांग्रेस के लोग राहुल के मिशन को पलीता लगाने में लगे है ,पूरे नौ माह हो गए संगठन कि चुनाव प्रक्रिया में  लगता है कि जो कांग्रेस पहले नंबर पर दिख रही थी वो कोमा में चली गयी है ,पूरी फर्जी सदस्यता ,कोरा और फर्जी कागजी काम ,तमाम भाग दौड़ ,और अंत में वही ढ़ाक के तीन पात ,वही चेहरे ,जिन्हें लोग पसंद नही करते ,वही लोग जिनके कर्मो के कारण पार्टी कमजोर हुई वही सब फिर स्थापित हो गए ,कुछ नही बदला .तमाम जगह चुनाव के नाम पर फर्जी खाना  पूरी हुई .सवाल ये है कि इस सारे फर्जी कामो से पार्टी कैसे खड़ी होगी .पूरी पार्टी सत्ता से या दूसरी पार्टियों से लड़ने के स्थान पर आपसी लड़ाई में लगी है .जनता के सामने तमाम मुसीबते है लेकिन जब तमाम कार्यकर्ता खुद मुसीबत में हो अपना फर्जी अस्तित्व बचाने के तों जनता कि लड़ाई कोंन लड़े .ऐसे कैसे २०१२ का मिशन पूरा होगा .
कार्यकर्ताओ का इस बात पर बिलकुल विश्वाश नही है कि पहले बंजर खेत को उपजाऊ बनाये मेहनत करके और फसल पैदा करने कि कोशिश करे ,जब फसल हो जाये तब तय कर ले कि किसकी कितनी रोटी है .सूत ना कपास औए लट्ठम लट्ठा वाली कहावत सही में देखनी हो तों उत्तर प्रदेश और बिहार कि कांग्रेस कि राजनीत देख ले ,उसका अर्थ पता लग जायेगा . उत्तर प्रदेश और  बिहार कि जनता तमाम दलों से ऊब गयी है और परिवर्तन के लिए कांग्रेस कि तरफ देख रही है ,देश के पैमाने पर राहुल ने एक विश्वाश और उम्मीद भी जगाया है ,लेकिन जनता जाग चुकी है वह फिर से कूए से निकल कर खाई में नही गिरना चाहती है ,वह चाहती है कि उसके सामने कांग्रेस अपना भविष्य का एजेंडा रखे ,संभावित नेता का नाम रखे ,विकास का एक रोड मैप सामने रखे ,जिससे जनता विश्वाश कर सके कि आने वाले लोग इससे पहले वाली सरकारों कि तरह लुटेरे नही होंगे ,विकास के  दुश्मन नही होगे ,कानून व्यवस्था के मामले में नपुंसक नही साबित होंगे .लगता ये है कि राहुल को और ज्यादा समय देकर इन प्रदेशो कि नकेल अपने हाथ में लेनी होगी ,वरना इन कार्यकर्ताओ कि हरकतों से कुछ बनने के स्थान पर बिगड़ ज्यादा रहा है .राहुल जितना माहौल बनाते है सबको ये पुराने बिगडैल बर्बाद कर देते है .जबकि पिछले बीस से अधिक सालो में ये प्रदेश इतने पिछड़ गए है कि इन्हें पटरी पर लाने के लिए कांग्रेस की एक मजबूत  इरादे के साथ ,मजबूत औए ईमानदार नेता के साथ ,विकास कि रणनीति के साथ ,सोचे समझे कार्यक्रम और एजेंडे के साथ बहुत जरूरत है .सभी कि दिलचस्पी इस बात में है कि कांग्रेसियों कि हरकते और आदते दल को बर्बाद करने में कामयाब होती है या राहुल के मजबूत इरादे कामयाब होते है ,जनता तों यही चाहेगी कि राहुल कामयाब हो .

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