शनिवार, 5 अगस्त 2023

बोलो डमरू बाबा की जय

देश और समाज पर लिखना और बोलना बंद कर मैं भी मुर्दा बन जाऊ क्या ?
बन ही जाता हूँ । 
केवल खुद का सुख तो इसी मे है 
सबकी हा मे हा मिलाओ अब खुश आप भी खुश 
वैसे भी 
"कोई नृप होए हमे का हानि "
हमारा मूल मंत्र और मूल चारित्र है 
तभी तो केवल कुछ सौ लोग आते थे सूदुर पच्छिम से या कही से भी और हमे लूट कर चले जाते थे ,पडोसी की लूटने का ज्ञान लुटेरो को हम ही देते थे और उसके लुटने पर खुश होते थे फिर हमारे लुटने पर हमारा पड़ोसी खुश होता था और मिल जाता था लुटेरो से । चलता रहा यही क्रम हजारो साल ।
वो तो पता नही कहा से गांधी बाबा आ गए और सुभाष से भगत तक को जान देने का शौक चर्रा गया बिना ये जाने की ये समाज डमरू और तमाशा प्रेमी है ।
आज भी यही चल रहा है और ताकत की पूजा मे हम लहलोट हो जा रहे है ।चाहे कोई कितना बर्बाद कर दे हमे पर हम खुश है 
हम कभी नही बदलेंगे 
क्योकी तमाशे देखना , बदर का डमरू पर नाचना और उसी डमरू पर खुद भी नाच लेना हमारा शौक है और हमारे जीन का चारित्र भी ।
कोई भी डमरू की आवाज पर हमसे कुछ भी करवा सकता है ।
हम मर रहे हो ,हमे भूखे हो ,हम बर्बाद हो रहे हो पर बस कोई डमरू बजा दे तो उत्सव प्रेमी हम उसी हालत मे अपना सब दुख भूल दौड पडते है नाचने और उत्सव मनाने के लिए ।
हमारा कोई कुछ बिगाड़ नही सकता क्योकी जेहन से हमने खुद को उसके लिए हजारो साल से तैयार किया हुआ है ।
मैं भी क्यो हवा के विपरीत चलूँ ? 
हवा जब तेज हो तो मुकाबला क्यो करुँ ? 
क्योकी मैं भी पीठ उस तरफ कर उसके वेग के कम हो जाने का इन्तजार न करू ? 
और 
क्यो न मैं दिखावे को ही सही डमरू की आवाज पर मुस्करा ही देने की कोशिश करुँ ? 
चली चुटकले ढूढता हूँ और सुनाता हूँ आप को आज से 
ढूढता हूँ भूले बिसरे गीत और सुनाता हूँ आप को 
नही तो अपनी लिखी कविताओ और कहानियो से ही बोर करता हूँ आप को ।
मैं पूरे समाज और देश जैसा बन जा रहा हूँ और बस सुबह के नाश्ते से रात के खाने तक डमरू की पूजा और डमरू के आदेश को ही खा लूँगा 
और फिर सो जाऊंगा निश्चिंतता के बिस्तर पर ।
रोज सुबह और शाम गिनूगा और पूरा हो जायेगा जीवन एक दिन ।
बोलो डमरू बाबा की जय 
नाच मेरी बुलबुल की पैसा मिलेगा 
ऐसा भी मिलेगा वैसा भी मिलेगा 
जैसा डमरू चाहेगा तैसा  मिलेगा ।
चलो नाच लेते है सत्ता और ताकत के हर ताता थैय्या पर ।
गांधी सुभाष भगत ये कौन थे ? 
क्या कर लिया इन्होने ?
इनसे ज्यादा ताकत तो डमरू ने दिखा दिया ।
इसलिए अब इनको भूल जाते है और दिल दिमाग से भी इन्हे मिटा देते है ।

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