भारत को तरक्की करना और मजबूत होना है तो समझना ही होगा
कि
सिर्फ दो ही धर्म है एक गरीब का धर्म और दूसरा अमीर का धर्म
दो ही जातियाँ है गरीब और अमीर ।
बहुत सी समस्याये खुद हल हो जायेंगी ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें