शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

आप यदि जीतती है जैसा की दिख रहा है तो बाकी दलों को भी अपनी अपनी राजनीती पर और रणनीति पर चिंतन करना होगा की देश की राजनीती और युवा तथा गरीब और बेरोजगार राजनीती को कोई नयी दिशा और नयी धार तो नहीं दे रहे जिसमे पुराना धर्म और जाति का गणित गौण हो रहा है और व्यवस्था परिवर्तन की चाहत और उसके लिए छटपटाहट ,उसके लिए आग्रह ,उसके लिए विमर्श और बौद्धिक विमर्श तथा चर्चा परिचर्चा ,साफ़ सुथरे चेहरे और भाषा चाहे जाति और धर्म कुछ भी हो नए हथियार तो नहीं बनने जा रहे है ।
जो समय से समझ जायेगा और उसके अनुसार खुद को ढाल लेगा वो समय के साथ चल जायेगा ।

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