बुधवार, 13 अगस्त 2014

जिसे हम राजनीती समझते है वो आजकल बड़े पूजीपतियों का खेल निकलता हैं | पता नहीं किस फैसले के पीछे कौन सा पूंजीपति और पैसा काम कर रहा है | पता नहीं किसको किससे लेना है और किसको क्या देना है और इसके लिए मध्यस्थ चाहिए |
आज की राजनीती बहुत साधारण नहीं रहीं | अब सिद्धांत और कार्यक्रम की तथा दलों की लड़ाई नहीं हो रही बल्कि बड़े पूजीपतियो के घरानों की लडाई हो रही है | कार्यकर्त्ता ,समर्थक और जनता ये समझ कर वोट देती है और मरने मारने को तैयार हो जाती है की उसकी खुशहाली की लड़ाई हो रही है |
जब नेता और नीयत बदल रही है तो कार्यकर्ता और जनता को भी नए तरीके से सोचना चाहिये और फैसला करना चाहिए |

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