चाहे
राजनीती में है या प्रशासन तंत्र में क्या कभी दिल पर हाथ रख कर इमानदारी
से सोचते है की वे गरीब जनता से क्या ले रहे है और बदले में उसे क्या दे
रहे है ??? ये तो सामान्य नियम है की आप जब किसी से कुछ लेते है तो ब्याज
सहित लौटाते भी है | पर शायद आज ये विचार मर गया है | पर इसी विचार के कारण
मैं अपराध बोध से ग्रस्त हो रहा हूँ |
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