रविवार, 3 नवंबर 2013

सैकड़ो या हजारो साल हो गए अँधेरा मिटाते जिन्दगी से ,समाज से और मानवता से पर मिटा बिलकुल नहीं बल्कि समय के साथ और गहराता जा रहा है |नकली और बनावटी रोशनी कोई अँधेरा केवल कुछ देर के लिए भुला सकती है मिटा नहीं सकती | उस दिन का इंतजार है जब असली रोशनी ,वो ज्ञान की हो ,सच्चाई की हो ,यथार्थ की हो, रौशन कर देगी सब कुछ हमेशा के लिए |

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