सोमवार, 26 दिसंबर 2022

तब भी चीन था पर तब की सरकार और अब की सरकार

दो प्रधानमंत्री,दो सरकार - एक ही मुद्दा और दो व्यवहार । कौन ईमानदार ? 
1962 - भारत सैकड़ों साल की ग़ुलामी से निकला था जिसमें आख़िरी ग़ुलामी आरएसएस के प्रिय अंग्रेजो कि थी जी देश को खोखला कर गए थे और देश में अपना कुछ नही बनता था । तब नेहरू जी के सामने चुनौती थी की फ़ौज और हथियार पर पैसा खर्च करे या देश की जानता की बुनियादी ज़रूरतों पर और उन्होंने जनता को चुना । 
पड़ोसियों से टकराव न हो इसलिए पंचशील का सिद्धांत दिया और पाडसियो से अपील किया की युद्ध के विनाश से बचा जाए और अपने अपने देश के विकास पर धन खर्च किया जाए ।
चीन हिंदी चीनी भाई भाई के नारे के साथ दगा दे गया और आक्रमण कर बैठा । हम तैयार नही थे पर लड़ें, बहादुरी से लड़े लेकिन नुक़सान उठा बैठे और उसी सड़कें में नेहरू जी दुनिया छोड़ गए ।
पर सिर ३ साल में भारत को मजबूत बना दिया और १९६५ में पाकिस्तान से तथा १९६७ में चीन से जीते । १९७१ में इतिहास और भूगोल दोनो बदल दिया और फिर दुनिया की ४ आर्थिक , सामरिक और आंतरिक्ष की शक्ति में शामिल हो गए कांग्रेसी सरकारो के ही कामो से । गोवा , अरुणाचल , सिक्किम साहित ना जाने कितने इलाक़े भारत का हिस्सा बना लिया । 

१९६२ की ही बात है अटल बिहारी वाजपेयी ने सरकार पर चीन के सवाल पर हमला किया और संसद में बहस की माँग किया । प्रधानमंत्री नेहरू जी ने तुरंत स्वीकार कर लिया । निर्दलीय सांसद लक्ष्मी मल सिंघवी से माँग किया की ये संवेदनशील मामला है इसलिए चर्चा को बंद कमरे की रखा जाए पर नेहरू जी ने मना कर दिया कि चर्चा खुली होनी चाहिए और देश की जनता को सच्चाई तथा अपनी कमजोरी मालूम होनी चाहिए । 
चर्चा हुयी और १६५ सांसदो ने विचार व्यक्त किया । कांग्रेस के कई सांसदो ने अपनी सरकार के ख़िलाफ़ बोला पर नेहरू जी किसी से ना नाराज़ हुए और ना किसी का टिकट ही काटा । 

२०२२ फिर उसी चीन का मामला । कुछ समय पहले लोकसभा में भाजपा के अरुणाचल प्रदेश के सांसद ने लोकसभा में बयान दिया था की आप यहाँ हिंदू मुस्लिम कर रहे है और उधर चीन अरुणाचल में १६ किलोमीटर अंदर घुस कर निर्माण कर रहा है ।
फिर गलवान घाटी सहित कई जगह चीन अंदर घुस गया ,हमारे सैनिक शहीद हुए , हमारी हजारो वर्ग मील ज़मीन पर चीन ने क़ब्ज़ा कर लिया पर प्रधानमंत्री मोदी जी ने संसद में बयान दिया की ना कोई आया और ना कोई घुसा , ना हमारी ज़मीन पर किसी का क़ब्ज़ा है । 
पर रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री चीन को पूर्व की स्थिति में जाने का लगातार बयान दे रहे है और उच्च सैन्य अधिकारी स्तर पर लगातार बातचीत हो रही है तो मोदी जी ने देश से असत्य क्या बोला । 
कई जगहों पर चीन के क़ब्ज़ा कर निर्माण की तस्वीरें सेटलाईट से लगातार प्राप्त हो रही है । अभी ९ दिसम्बर को चीन ने फिर अतिक्रमण किया । 
इस बार संसद में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस रोज़ दोनो सदनो में माँग करता रहा की देश को सच मालूम होना चाहिए तथा देश को विश्वास में लेकर एकजुट होकर इसका मुक़ाबला करना चाहिए ।
पर आर एसएस की सरकार एक बार भी चीन पर संसद में मुह खोलने को तैयार नही हुयी । 
उल्टे चर्चा से बचने के लिए संसद के सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया ।
अब देश ढूँढ रहा है वो लाल आँखे और मोदी जी के ना घुसा ना कोई आया के पीछे का रहस्य । 
देश को ही तय करना है प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री का अंतर , सरकार और सरकार का अंतर , सोच और सोच का अंतर , संकल्प और संकल्प का अंतर ।

#मैं_भी_सोचू_तू_भी_सोच

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