बुधवार, 27 अक्तूबर 2021

क्योकी वो अभी जिन्दा है

आज ही यानी 27 अक्टूबर की रात और 28 की सुबह उत्तर प्रदेश के एक जिले के एक पिछड़े गाव के उस घर के एक अंधरे कमरे मे जन्म हो गया था एक इन्सान का , न डाक्टर ,न नर्स ,न दवाईया ,न साफ सफाई पर वो जी गया और चल भी गया इतने साल अपने तमाम संघर्षो लोगो के छल और धोखे पर आंख बंद कर विश्वास करते हुये ।
आज उसकी जिंदगी के अनुभव मे एक साल और जुड़ गया ।
लिखना चाहता है वो अपनी जीवन गाथा पर वो एक नितांत साधारण व्यक्ति है और साधारण लोगो की जीवन गाथा नही होती है बस उनके हिस्से मे संघर्ष होते है , उपेक्षा और अपमान होते है ,दुख होता है और तिरस्कार होता है ,और लिखे भी तो क्या लिखे ? गरीबी ,अभाव चार  चम्मच दूध के लिये झगड़ा ,गेहू की रोटी या पूड़ी का वर्णन और ये कि गेहू का आटा कही से आता था विशेष कारण से ,वो बाढ़ जो दरवाजे तक आ गयी थी और सब फसल लील गयी थी और उसके बाद की जिन्दगी ,कहा से शुरू करे वो और कहा खत्म ।इतना ज्यादा है की कई दिन चाहिए लिखने को या कई महीने ।पर क्या होगा लिख कर वो लड़का तो वापस नही आयेगा जो अभाव के कारन अपराधी बन गया था और किसी पडोसी विरोधी से सुपारी लेकर बहाने से बुला कर पुलिस ने गाँव मे ही गोली मार दिया था उसे जिसकी शादी अभी चंद दिन पहले ही हुयी थी और वो लड़कियां भी कहा वापस आ पायेंगी जो एक के बाद एक ब्याह कर लायी गयी थी पड़ोस के घर मे और घर के सामने की पोखरी मे डूबी और मरी पायी गयी थी और पडोसी मुसकराता हुआ फिर दूल्हा बनने को तत्पर दिखा था और उसका परिवार दहेज के लिये ।
क्या क्या लिखे वो सब गडमड हो रहा है और बिखर रहा है यादो मे ।
पर याद है भैस चराने जाना ,फिर उसको तालाब मे नहलाना और उसकी पीठ पर तालाब मे घुमना ,याद तो वो भी है जब डूब ही गया था तालाब मे दो बार पर किसी ने देख लिया तो बच गया और वो जब कुये से पानी निकालते हुये पैर फिसल गया था गिर ही गया होता कूये मे और कहानी खत्म हो गयी होती पर बगल की दीवार मे लगी हुयी खूटी हाथ मे आ गयी थी और बच गया था । याद है खुरपी से खोदना ,फावड़े चलाना ,हल जोतना , कोल्हू हो या रहट बैल के पीछे चलना तो ढेकूल से पानी निकाल कर सिचाइ करना ,थाला से हाथा से पानी खेत मे फेंकना तो चारा काटना पर ये सब लिख कर क्या होगा । बैल भैंस गाय सबको सानी पानी करना तो गुड बनाने के लिये कड़ाह मे झोकना ,भेली बनाना तो आखिर मे बचे कडाहे मे पानी उबाल कर औटी पीना । खेत ने धान रोपना ,तो खेत के मचान पर रखवाली करना ,उसी मे लगा फूट खाना तो खेत से सर पर लाद कर फसल लाना ।खलिहान मे फसल की दवाई ओसाई और फिर सर पर लाद कर घर पहुचाना ।क्या क्या लिखे वो ।वो गिट्टी फोड ,वो लाखन पाती ,कबड्डी ,कुश्ती ।
उस दिन वो एक गरीब की बीबी के स्त्री अंग मे किसी के द्वारा डाल दी गयी लाठी और उसी तरह उसको 7 किलोमीटर दूर थाने ले जाना क्या क्या लिखे 
 ,वो पड़ोस के गुप्ता चाचा पिता के दोस्त जो किसी बहाने अपना पुरुष अंग शरीर ने कही छुला देते थे ,वो मिट्टी के बर्तन बनाने वाले की बहुत बड़ी उम्र की लडकी जो 4 साल के बच्चे के अंग से खेल कर पता नही क्या पाती थी ,  वो स्कूल के मुन्शी जी जो बच्चो से अपने पुरुष अंग पर कोई क्रीम लगवाते थे भरी क्लास मे तो क्या करते होंगे वो जिन बच्चो को विशेष रूप से शिक्षित करने को रात को भी बुलाते थे स्कूल और परिवार समझता था की बच्चा पढाई मे मजबूत हो रहा है ।बम्बई से आई बचपन के दोस्त की लाश पर लिखे जो कमाने गया था पर उत्तर भरतीय होने के कारन शिव सैनिको द्वारा मार दिया गया था ।अच्छा सब बुरा ही नही जांघिया नाच पर तो लिख ही सकता है जिसमे घुघरु लगे जांघिया (अन्डर वियर ) पहन कर कितना अच्छा लगाता था वो नाचता हुआ लोग और तिलैया तो क्या शानदार नाचता था ।दुलारे हर चीज का इलाज थे कुये से पानी भरना , बाल और नाखून काटना ,गाँव और आसपास के गाँव ही नही दूर दूर रिश्तेदारी मे सूचना देना ,न्योता पहुचाना और शादी पता लगाना और उनकी औरत घर अन्दर का सब सम्हाल लेती थी। 
बहुत है लिखने को लगता है कि लिख लेगा वो अगर कोशिश करेगा तो ।
आगे कोशिश जरूर करेगा क्योकी वो सब संघर्ष और तकलीफ के बाद भी आज भी जिन्दा है ।

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