बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

माँ ऐसी होती है ।

एक लघु कथा --
माँ ऐसी इसको कहते है ।---

वो पुराना घर
कहते थे की किसी राजा के कारिंदों कथा
कुछ लोग बताते थे की राजा के घोड़े बांधते थे
पर अब तो कुछ लोग रह रहे थे वहां
और
ऐसा घर पाना भी कितनी बडी सुविधा थी ।
बारिश कितनी बड़ी सजा था उस माँ के लिए और बच्चो के लिए
पिता तो सो जाता था
पर माँ कैसे भीग जाने देती अपने छोटे छोटे बच्चो को ।
पहले मच्छरदानी लगाया
फिर उस पर कुछ प्लास्टिक बिछाया
फिर भी बात नही बनी तो बच्चो को उस कोने में लिटाया जहा पानी नही आ रहा था और
पानी वाली जगह कही बाल्टी रखा और कही टब ।
पूरी रात जी पूरी पूरी रात
वो बैठी रहती थी बर्तन बदल बदल कर पानी फेंकने को कि एकमात्र बिस्तर भीग न जाये ।
कितनी राते नहीं सोती थी वो माँ अपने बच्चो के लिए औरअपने परिवार के लिए
पूरे दिन काम भी पूरा करती थी बिना चेहरे पर शिकन लिए
अभी कल की ही तो बात है
बेटी पैदा होने वाली थी । पैसे नहीं थी तो सरकारी अस्पताल के जर्नल वार्ड में कुछ अपनों के कारण इंतजाम हो गया था
और डॉ चार दिन कम से कम रोकते है और कुछ दिन आराम करने तथा शरीर के सामान्य हो जाने को समय देने को बोलते है पर गरीबी और घर की मजबूरी के कारण वो एक दिन में ही घर आ गयी थी और लग गई थी घर के हर काम में ।
मैं उस माँ को जानता था ।
हां मेरे आसपास ही थी वो माँ लेकिन कोई मदद नहीं कर पाता था मैं
और
आज भी वो उसके हालात को न बदल पाने और उसकी मदद न कर पाने का गुनाह मुझे डराता है और शर्मिंदा करता हूं ।
पर उसके बारे में ये लघु कथा लिख कर उसे श्रधांजलि तो दे ही सकता हूँ और लोगो को बता ही सकता हूँ कि
माँ ऐसी होती है ।

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