बुधवार, 23 जून 2010

आज कश्मीर में फिर एक कर्नल शहीद हो गए .ये वीरो कि भेट हम कब तक चढाते रहेंगे .जब जब सीधा युद्ध हुआ है हमने १९६२ के अलावा  जो हिंदी चीनी भाई भाई का नारा लगाने वाले के धोखा देने के कारण हुआ था ,हम सभी युद्ध जीते ,शान से जीते .लेकिन ये कायराना युद्ध हमें भारी पड़ रहा है .युद्ध में शहीद होने वालो से कई गुना ज्यादा हमारे सिपाही जान गवा चुके है .जब सीधा युद्ध भी होता है तों १: अंतररास्ट्रीय दबाव और हस्तक्छेप होता है २:युद्ध में हमारे सिपाही तथा अफसर शहीद होते है ,इस शिखंडी युद्ध के मुकाबले नगण्य ३:युद्ध में हथियार खर्च होता है ४:युद्ध में पैसा खर्च होता है ५:युद्ध में देश आपातकाल से गुजरने के कारण अनिश्चितता में जी रहा होता है .
इस दुश्मन के शिखंडी युद्ध में पैसा खर्च हो  रहा है युद्ध से ज्यादा ,सिपाही और अफसर शहीद हो रहे है युद्ध से ज्यादा ,हथियार खर्च हो रहा है युद्ध से ज्यादा ,स्थाई आपातकाल लगा है पूरे देश में ,पता नहीं कब कहाँ  आतंकवादी हमला हो जाये ,या बम फट जाये और कश्मीर जो जन्नत कहा गया है उसे तों स्थाई युद्ध भूमि में बदल दिया है कुछ कायर लोगो ने .अनिश्चतता इतनी के कही भीड़ भरे इलाके में जाने में लोग घबराते है और उसपर भी दुनिया के देश शांति तथा दोस्ती का सन्देश देने के नाम पर अघोषित हस्तक्छेप ही कर रहे है .
और  जब सारी स्थितिया युद्ध कि ही है ,देश को युद्ध से ज्यादा देना और भुगतना पड़ रहा है ,संबंधो के बीच कि दीवारे गिरने के स्थान पर छल कपट कि इंटो और अविश्वास के गारे से और ज्यादा मजबूत होती जा रही है तथा इसमे घाटे में केवल हमारा देश है ,पडोसी दुश्मन तों दुनिया के दादाओ  से आतंकवाद से लड़ने के नाम पर खूब पैसा तथा हथियार पा रहा है तथा उसे इस कायराना लड़ाई में हमारे खिलाफ ही इस्तेमाल कर रहा है .ये भी हो सकता है कि दुनिया को अपनी मुट्ठी में रखने कि इच्छा
रखने वाले देशो कि निति ही यही हो कि भारत तेजी से बढ़ रहा है ,एक बड़ी ताकत बनता जा रहा है ,इसे रोकने के लिए दुश्मन को मजबूत करो और कितना भी मजबूत होकर ओ भारत से सीधी लड़ाई जीत नहीं सकता है इसलिए ऐसी लड़ाई करवाते रहो जिससे भारत का विकास रोका जा सके ,उसका स्वतंत्र आवागमन बाधित हो ,जनता में अविश्वास पैदा हो .ये अलग बात है कि ये सब उनकी गलतफहमी ही साबित हो रहा है .
वे शायद भूल गए है कि ये वही देश है जिससे उन्हें एक लंगोटी पहने हुए शख्स ने बिना एक बूँद खून बहाए भागा दिया था .जिस देश के सुभाष नमक एक व्यक्ति ने उनकी पूरी सत्ता जिसपर उन्हें गुमान था को धोखा देकर ना केवल देश से निकल गया बल्कि बिना किसी साधन के फ़ौज खड़ी कर ली और सिंगापुर से जीतता हुआ भारत के अन्दर तक घुस आया .ये वही देश है जिसके नौजवानों ने उनकी संसद में घुस कर बम फेका था .ये वही देश है जिसमे बिना संचार साधनों के पूरे देश में सन्देश फैला कर  मंगल पाण्डेय ने एक युद्ध ही छेड़ दिया था ,और ये वही देश है जिसके जवानो ने अकेले रह जाने पर भी कई पेटन टंक तोड़े है
तथा चौकिया जीती है .पता नहीं इस देश को अपने जैसा कायर देश समझने कि भूल कैसे कर बैठे है कुछ देश .
लेकिन युद्ध तों चल रहा है ,हम मर भी रहे है ,बहुत कुछ खो भी रहे है .तब सवाल ये उठता है कि ये युद्ध उसी तरह क्यों लड़ा जाये जैसा दुश्मन चाहते है ,क्यों ऐसे लड़ा जाए जिसमे पता ही नहीं होता है कि दुश्मन कहा है और बिना हथियार उठाये ही हमारे जवान मर जाते .क्या हमारे बहादुर जवानो को शोभा देता है कि वे बिना दस बीस को मारे शहीद हो जाये .देश को तय तों करना ही पड़ेगा कभी ना कभी कि जवान शहीद हो तों सर उठा कर और जीत का नारा लगा कर शहीद हो .दुश्मनों को एक बार फिर १९७१ का सबक तों देना पड़ेगा या उससे भी ज्यादा कि फिर सौ सालो तक वो ऐसा या वैसा कोई भी युद्ध लड़ने कि सोच भी ना सके .तब इंडिया गेट पर खड़े हो कर ए आर रहमान गायेंगे :माँ तुझे सलाम :तथा लता दी गायेंगी :ये मेरे वतन के लोगो जरा आँख में भर लो पानी जो शहीद हुए है उनकी जरा याद करो क़ुरबानी :और हम सब मिल कर गायेंगे :जवानो की  माएं कितनी  रातो से  सोई  ही नहीं है ,माँ का तिलक किया  जवानो ने  अपने खून से ,सरहदो  की लकीर खींची है अपने नाखून से ,लजा ना जाये बेटो कि शहादत और उनका दूध  इसलिए शहीदों की माताएं  कभी रोई ही  नहीं है .आओ तिरंगा उतना ऊँचा उठा दे  ,कितनी भी दूर दुश्मन सबको दिखाई दे .इस झंडे को छूने कि सोच हांफ  जाये ओ ,इक कदम बढे तों  डर से कांप जाये ओ .

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