#हम_खुद_मीडिया_है --
भारत की अधिकांश #मीडिया के देश और समाज से #गद्दारी करने और #फ़ासीवादी बन जाने पर
क्या
अब हम सभी को ही मीडिया बन जाना होगा और अपने अपने शहर गांव कस्बे की न्यूज़ सोशल मीडिया के माध्यम से सबको बताना होगा ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|