बुधवार, 11 अक्तूबर 2023

पग यात्रा ,पद यात्रा और पथ यात्रा

पग यात्रा ,पद यात्रा और पथ यात्रा और राहुल गांधी ।

पद यात्रा देती है पद प्रतिष्ठा और पहचान ।

भारत क्या पूरी दुनिया मे अनंत काल से पग यात्रा चल रही है ।इंसान रोज अपने पैरो पर चलता है अपने कामो से उद्देश्य कुछ भी हो यूँ ही टहलना ,किसी भी काम से जाना , पूजा पाठ के लिये या नौकरी और व्यापार के लिये जाना पर पग यात्रा व्यक्तियो के स्वयं तक सीमित होती है ।

पद यात्रा का अपना इतिहास है वो अमरीका मे मार्टिन लूथर किंग के नेतृत्व मे कालो के अधिकारो के संघर्ष के लिये हुयी हो जब 1960 के दशक मे वो लड़ रहे थे और 1965 मे सेल्मा अल्बामा से मोन्टगोमरी तक यात्रा निकली तथा अन्ततः अफ्रीकी अमरीकी नागरिको के साथ न्याय हुआ ।  भारत मे अभिनेता सुनील दत्त ने आतंकवाद खिलाफ पद यात्रा किया तो जापान जाकर परमाणु हथियार के खिलाफ । चन्द्रशेखर जी की भारत यात्रा भी एक दौर मे देश के उत्सुकता जा कारण बनी जब उन्होने कन्याकुमारी से दिल्ली तक की यात्रा किया , यद्दपि उसी समय इन्दिरा जी हत्या ने उनकी यात्रा का असर फीका कर दिया पर उनको नेता के रूप मे राष्ट्रीय फलक पर स्थापित कर दिया जिसके कारण वो आगे चल कर प्रधानमंत्री बने ।आन्ध्र प्रदेश मे वाई एस राजशेखर रेड्डी ने पद यात्रा से सत्ता हासिल किया तो उनके पुत्र जगन रेड्डी को भी सत्ता दिलाने का काम किया पद यात्रा ने और चन्द्र बाबू नायडू ने भी ऐसे ही सत्ता हासिल किया ।सीमित मामलो मे इन्दिरा गाँधी के काम आई ऐसे यात्रा 1977 के बाद तो 2017 मे  दिग्विजय सिंह की यात्रा मध्य प्रदेश में कांग्रेस के काम आयी । ऐसी तमाम छोटी बड़ी पद यात्राए होती रही है। अब राहुल गांधी पद यात्रा पर निकले है ।

पद यात्राओ ने हमेशा अपने यात्री को पद प्रतिष्ठा और पहचान दिया है तो राजनीतिक पद यात्राओ ने सत्ता दिया है । यद्दपि सत्ता तो रथ यात्राओ ने भी दिया पर उन्होने साथ ही हिंसा , विध्वस और नफरत भी दिया तथा उनसे मिली सत्ताए लोगो के पैरो के छाले देखने तथा भूखे पेटो की आवाज सुनने मे नाकाम रही क्योकी उनका पाला ही नही पड़ा और वो केवल एकल प्रवचन करते हुये जनता को अपने मनचाहे शोर और स्वार्थ मे डुबोते हुये गुजर गयी ।

जबकि पथ यात्रा विचार यात्रा होती है जो परिवर्तन कारी होती है और गौतम बुद्ध से लेकर महत्मा गाँधी होते हुये विनोबा भावे तक ने अपने अपने स्तर की पथ यात्राए ही किया वैसे अमरीका मे मार्टिन लूथर किंग की यात्रा को भी इसमे शामिल किया जा सकता है ।जहा सिद्धार्थ ने राजपाट छोडा और महत्मा बुद्ध बन गये और एक ऐसा पथ बनाया जिसका अनुगामी विश्व का एक बडा हिस्सा हो गया वही महत्मा गाँधी की चम्पारन से शुरु हुयी यात्रा 1930 के डांडी मार्च तक जाते जाते पूरे भारत को सन्देश दे चुकी थी और जन जन  को गांधी जी से जोड़ चुकी थी और इन यात्राओ ने  अजेय सत्ता को बेदखल ही नही किया बल्कि पूरे विश्व को अहिंसा और सत्याग्रह नामक एक नया और बहुत असरदार हथियार दे दिया । तो विनोबा भावे ने अपनी सीमित यात्रा मे लाखो बेघरो को घर और भूखो को रोटी का साधन दिलवा दिया उन लोगो से जिनके पास ज्यादा था ।

इस वक्त भारत ही नही बल्कि दुनिया की निगाह राहुल गांधी की यात्रा पर है ।राहुल की यात्रा भी इतनी चर्चित नही होती और उत्सुकता पैदा नही करती अगर उन्होने सिरे से सारे पद नही लेने और सत्ता के प्रति निर्मोही होने का मजबूत एलान नही किया होता और भारत के जन सरोकारो से जुडे मुद्दो को धारदार तरीके से उठाते हुये हर तरह की टूटन के खिलाफ और हर तरह के जुडाव के लिये खुद को झोंक नही दिया होता ।अगर एक यात्रा पूरी कर राहुल गाँधी भी काम पूरा किये बिना अपनी पुरानी जिन्दगी मे जाकर रम जाते है तो हो सकता है इसका तत्कालिक लाभ कांग्रेस की मिल जाये और सत्ता भी हासिल हो जाये पर ये बाकी पद यात्राओ की श्रेणी मे से ही एक होकर रह जायेगी और फिर बहुत दिनो के लिये पद यात्राओ का आकर्षण खत्म हो जायेगा ।पर जैसा की दिख रहा है राहुल गाँधी सत्ता के मोह से दूर अपने बौद्धिक चिंतन के साथ एक बडा इरादा और मजबूत समर्पण लेकर चलते हुये दिख रहे है । अगर ये यात्रा अन्तिम नही बल्कि बापू की तरह परिणाम हासिल करने तक निरन्तर चलती रही और देश के कोने कोने तथा जन जन को उद्वेलित कर जोडने मे कामयाब रही तो फिर ये पद यात्रा नही बल्कि पथ यात्रा हो जाएगी । समय इस बात का जवाब देगा की राहुल पद यात्रा तक सीमित रहते है या पथ यात्रा पर चल पडते है क्योकी उनको पद मिल रहा था उन्होने ठुकरा दिया और पहचान की उन्हे जरूरत नही ,हा उस प्रतिष्ठा के लिये वो खुद को तपा सकते है जो पथ यात्रा से ही मिलती है ।

इसका उत्तर केवल आने वाला समय दे पायेगा ।

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