बुधवार, 20 जून 2018

अब देखते है की सलाहकार पकौड़ा बेचने वाला होता है या चाय बेचने वाला ?

बहुत विश्वास के साथ लाये गए भारत के आर्थिक सलाहकार भी बीच में ही विश्वास तोड़ कर चल दिए या फिर उनका ही विश्वास डगमगा गया ,जिन उद्देश्यों के लिए आये थे वे पता नहीं पूरे हुए या नहीं उनकी निगाहों में वो ही बता सकते है , बाकि बयांन तो बच बच कर ही ज़ारी होतेे है बचाते हुए आकाओ को ,
सवाल ये है की उन्होंने क्या किया इतने दिनों में और क्या छाप छोड़ी भारत के अर्थव्यवस्था पर ? क्या बदला उनके कार्यो से ? अगर कुछ नहीं ,कोई योगदान नहीं तो क्यों लाया गया था ?
मोदी जी ने भी क्या छांट छांट कर रखे लोग जिन्होंने ऐसी नोटबन्दी की कि आर्थव्यवस्था धराशायी हो गयी ,जी एस टी लागू किया तो व्यापारी आजतक कराह रहा है ,विदेश नीति ऐसी की लगता है पिछले इतने सालो का सब किया गया कूड़ेदान में जा रहा है ,रक्षानीति ऐसी की हम रोज अपने जवानों की बस लाशे गिन रहे है और चेतावनी दे रहे है , शिक्षा ,स्वस्थ्य ,रोजगार इत्यादि के लिए तो कोई उम्मीद ही नहीं की जा सकती है इन अज्ञानियों से ,
अब देखते है की सलाहकार पकौड़ा बेचने वाला होता है या चाय बेचने वाला ? 

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