देश आज कहा जा रहा है ? वही तो नहीं जहा गुलामी के बीज इतने गहरे और इतने प्रबल थे और हम इतने बटे हुए थे कि मुट्ठी भर लोग कही से भी आते थे और हमें लूट कर चले जाते थे और धीरे धीरे वो दिन भी आया की इतना बड़ा भूभाग और इतनी बड़ी जनसंख्या गुलाम हो गयी लम्बे समय के लिए .
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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