रविवार, 31 मई 2015

समय भी क्या चीज है न्याय भी करता है और अति के साथ अन्याय भी । पता नहीं किसके साथ कब न्याय कर दे और कब किसी के अन्याय के लिए उसे रसातल में पहुंचा दे ।
इतिहास ने सभी को समान भाव से सिखाया है और सुरक्षित रहकर दस्तावेजो में ये मौका भी सुरक्षित रखा है की सभी उससे सबक ले । पर
देखते हैं कौन सा इतिहास कब उड़ान ले लेता है और कौन सा द्वारका में पैबस्त हो जाता है । इंतजार मुझे भी है और इन्तजार और लोगो को भी करना ही चाहिए क्योकि इतिहास तो बनना भी है और बदलना भी ।
इतिहास हो या समय कभी एक जैसा न रहा है और न रहेगा न मेरा न तेरा और न उसका ।
चलो आँखे बंद कर चिंतन करे की इतिहास की करवट अबकी कैसी होगी और क्या होगी ।
अभी इतिहासबोध को छोड़ ही देता हूँ ।उसका बोध भी करवाऊंगा जब बोधित हो जाऊंगा मैं इतिहास के अगले कदम से ।

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