सोमवार, 28 नवंबर 2011

देश का व्यापारी वर्ग मिलावट करना ,नकली सामान ,मसाले ,दूध ,दवाई बनता रहे और १०२ करोड़ लोगो को बीमार बनाता जाये और सबसे बड़ा देशद्रोह करे पर आप इसे स्वीकार करिए कुछ नहीं कहिये ,बस सहिये ,ये व्यापारी २ रुपये किलो का आलू किसान से लेकर ३० रूपये बेचे और इसी तरह सारी किसान की मेहनत ,खर्च ,रखवाली और बर्बादी का रिस्क लेकर जो भी पैदा करता है वह औने पौने में खरीद कर ये २०० /३०० गुना कीमत तक बेंचे ,ये इनका व्यापार है और व्यापार में सब जायज है स्वीकार करे क्योकि ये अपने है ,ये अपने कारखानों के उत्पादन को कई गुना मुनाफे के कीमत में बेचें आप इन्हें स्वीकार करिए ,ये व्यापार है इसलिए सब जायज है | हाँ इनकी मिलावट ,मुनाफाखोरी ,जमाखोरी ,नकली सामान का बनाना सब जायज है और समाज भक्ति तथा देश भक्ति है | ये थोड़े पैसे लगा कर कुछ ही दिनों में करोडपति ,अरबपति ,खरबपति हो जाते है और जितने बच्चे होते है उतने व्यापार तथा घर बना लेते है पर किसान के जितने बच्चे होते है उनके घर और खेत छोटे होते जाते है | ये कौन सी वयवस्था है | इन पर अंकुश लगाने का कोई कम नहीं होना चाहिए ?इनको मिलावट और नकली सामान बनाने पर देशद्रोह की धरा में इनका चालान नहीं होना चाहिए ? क्या ये तय नहीं होना चाहिए की किसी भी चीज पर अधिकतम कितना मुनाफा लिया जा सकता है और नहीं तो क्या ये मुनाफाखोरी लूट की श्रेणी में नहीं आनी चाहिए ? क्या इनके लिए प्रतियोगिता की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए ? अब ये विचार देश के शासक भी करे ,जनता भी करे और हो सके तो ये व्यापारी भी करे !

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