इराक सहित कई देश पहले अच्छे भले चल रहे थे पर बहाना कुछ भी बना कर अमरीका ने उन सभी को बर्बाद कर दिया और तब से वो सारे देश खड़ा होना तो दूर घुटनो के बल चलने लायक भी नही हो पाए है ।
इजराइल में छुट्टी बिताते लोगो पर एक हमला हुआ कुछ मारे गए और कुछ बन्धक बने पर गाज़ा तबाह हो गया ।
हल निकल सकता था यूक्रेन और रूस का पर यूक्रेन की पीठ पर हाथ रख दिया कुछ ताकतों ने और यूक्रेन भुतहे खंडहर में तब्दील हो गया ।
फिर एक हमला हुआ और रूस को बहुत कुछ खोना पड़ा ।
अभी पता नही क्या हुआ कि इजराइल अमरीका की शह पर टूट पडा ईरान पर । ईरान के कई प्रमुख लोग मारे गए ।
अब इंतजार हो रहा है दो जवाबो का । एक जवाब रूस को देना है तो दूसरा ईरान को देना है ।
देखना है दोनों जवाब एक दुसरे के समानांतर होंगे या अलग अलग होंगे । दोनों के जवाब दोनों के निश्चित टारगेट तक सीमित रहेंगे या दुनिया के खित्ते भी इनकी जद में आएंगे ।
दुनिया की घटनाओं पर निगाह रखने वालों का मानना है तीसरा विश्वयुद्ध दस्तक दे रहा है । वे मानना गलत साबित हो जाना ही दुनिया और मानवता के हित में है ।
मैं तो बहुत सोचकर भी नही समझ पाता हूँ कि ये लड़ाइयां क्यो होती है ।अगर कही कोई विवाद है तो युद्ध के बजाय शांति और मानवता को महत्व देते हुए बाकी देश तथा संयुक्त राष्ट्र संघ उनका हाल क्यों नही निकाल देते है ताकि पूरी दुनिया शांति से तरक्की कर आगे बड़े और मानवता के सामने भविष्य में आने वाली चुनौतियो से मुकाबला करने पर खुद को केंद्रित करे।मानवता की रक्षा और विकास के लिए खुद को प्रतिबद्ध करे।
जितना पैसा दुनिया भर के हथियारों पर और युध्द पर खर्च होता है यदि वह देशो के विकास और मानवता की बहबूदी के लिए खर्च किया जाए तो दुनिया स्वर्ग बन जाये ।
जहा तक कुछ पाने का सवाल है जब कोविद आया था तब भी तो दुनिया ने एक दूसरे की मदद किया जानकारियो से , किट से ,दवाइयों से ,आक्सीजन से ।
तो वैसे ही दुनिया मे जिसके पास जो नही है वो उसे वो लोग व्यापारिक समझौते के तहत दे दे जिनके पास है और ऐसे सबका काम चल जाएगा बिना युद और बिना बिजय तथा कब्जे के ।
फिर भी कोई मुद्दे हल न हो रहे हो तो उन्हें समय द्वारा हल करने के लिए छोड़ दिया जाए और दुनिया तथा मानवता को शांति से आगे चलने दिया जाए ।
पर युध्द और रक्त पिपासा शायद इंसान के जीन्स में है और इसीलिए युद्ध है कि खत्म होने का नाम ही नही लेते । दुनिया का कोई न कोई खित्ता सुलगता ही रहता है ।
युध्द के विरुद्ध और मानवता के पक्ष में क्या दुनिया भर की सिविल सोसाइटी एकजुट होकर एक बड़ा दबाव समूह नही बना सकती है इस नारे के साथ कि इंसान जिंदा रहने के लिए पैदा हुआ है उसे जिंदा रहने दो और इस गाने के साथ कि " इंसान का इंसान से हो भाईचारा ,यही पैगाम हमारा यही पैगाम हमारा ।
#मैं_भी_सोचू_तू_भी_सोच