सोमवार, 30 दिसंबर 2024

नव_वर्ष_मुबारक_हो

नव_वर्ष_मुबारक हो और आप सबकी जिंदगी में खुशहाली लाये | 

क्यों कहू मैं जब तय नहीं है की इस साल कोई तूफ़ान नहीं आएगा ,,
जब तय नहीं है की कोई किसी को नहीं रुलाएगा ,
जब तय नहीं है की इस साल कोई सुनामी नहीं आएगी ,
जब तय नहीं की इस साल कोई लड़की निर्भया  नहीं कहलाएगी ,
जब तय नहीं है की नकली दूध और दवा मौत का सामान नहीं बनेगी ,.
जब तय नहीं है की की जाती और धर्म में नफरत की छतरी नहीं तनेगी ,
जब तय नहीं है कोई मुजफ्फरनगर , शामली  आतंक नहीं फैलायेगा ,
तय नहीं की कोई अफवाह पर दादरी नहीं बनाएगा ,
तय नहीं की दहेज़ के लिए हत्या नहीं होगी 
और 
कोख में बेटियां नहीं मरेंगी 
और 
सड़क चलते बेटियां नहीं डरेंगी ,
कोई बच्चा कूड़ा नहीं बीनेगा 
और 
चौराहों पर हाथ नहीं फैलाएगा ,
कोई नहीं रहेगा निरक्षर न बिकेगा किसी का शरीर न होंगे कोठे आबाद 
और हम जब तक नहीं होंगे सच्चे मायने में आज़ाद ,
नहीं दूर होगी भुखमरी और 
लाचारी ,गरीब के हिस्से में बस होगी बीमारी | 
कैसे कह दूँ मैं नया वर्ष मंगलमय हो जब तय ये सब तय न हो ,|
आइये इनसे मुक्त दुनिया बनाये 
और 
तब नए साल की खुशियाँ मनाएं ,
नाचे और गाये ,,
तब जोर से चिल्लाएं-----
#happy_new_year ,,,#नव_वर्ष_मुबारक_हो |

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

आइए अपने परिवार , अपने समाज और अपने देश को नफरत और पतन से बचाए । नए साल में एक छोटा या बड़ा पौधा लगाए ,किसी एक बुराई से लड़ने की कसम खाए तब नया साल मनाए ।
आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
नया वर्ष आप के, परिवार के और देश तथा समाज के जीवन में ढेरों खुशियां लेकर आए। 
एक बार फिर खूब सारी शुभकामनाएं । 

घृणा ज्ञान से नहीं अज्ञानता से फैलती है

1: जज ने इजिप्ट के राष्ट्रपति अनवर सादात के हत्यारे से पूछा कि तुमने सादात को क्यों मारा ? 
हत्यारे ने जवाब दिया " क्योंकि वो सेकुलर ( धर्मनिरपेक्ष) थे 
जज ने फिर पूछा कि सेकुलर का क्या अर्थ होता है 
तो हत्यारे ने जवाब दिया कि" उसे नहीं मालूम " 

2; इजिप्ट के प्रसिद्ध लेखक महफूज के केस में उनको मारने वाले से जज ने पूछा कि तुमने उन्हें क्यों मारा ? 
तो आतंकवादी में जवाब दिया कि उनके उपन्यास " द चिल्ड्रन ऑफ अवर नेबरहुड" के कारण 
जज ने पूछा कि क्या तुमने वो उपन्यास पढ़ा है ? 
तो अपराधी ने जवाब दिया " नहीं "

3: एक और जज ने आतंकवादी जिसने इजिप्ट के लेखक फराज फ़ौदा को मारा था से पूछा कि तुमने फौदा को क्यों मारा ?
आतंकवादी ने जवाब दिया कि वो देश के  वफादार नहीं थे 
जज ने पूछा  कि ये तुम्हे कैसे पता लगा कि वो वफादार नहीं है 
तो आतंकवादी ने कहा कि उनकी किताब के कारण जो उन्होंने लिखा है 
तो जज ने पूछा कि किस किताब से तुम्हे पता लगा कि वो वफादार नहीं है ? 
आतंकवादी ने कहा कि उसने उनकी किताब नहीं पढ़ा है 
तो जज ने पूछा कि क्यों नहीं पढ़ा 
तो आतंकवादी ने कहा " क्योंकि उसे पढ़ना या लिखना नहीं आता " 

घृणा ज्ञान से नहीं अज्ञानता से फैलती है 

और समाज को उसका मूल्य चुकाना पड़ता है ।

( किसी की इंग्लिश पोस्ट का मेरा हिंदी अनुवाद )