उदय प्रताप जी जिनसे करीब 50 साल का मेरा रिश्ता है जो बड़े भाई भी है , सच्चे दोस्त भी है और शुभचिंतक भी है ।
हा उदय प्रताप जी का शिकोहाबाद का घर हो या सांसद के रूप में मिला हुआ दिल्ली का घर हो वो मेरा दूसरा घर रहा हमेशा । उदय प्रताप जी अगर आगरा आते थे तो मेरे घर पर जरूर आना होता था और फिर मेरे पूरे परिवार के साथ बैठ कर बाते करना और कविताएं सुनाना ये हर बार तय था । हम लोगो के बीच बिना रिश्ते के ऐसा रिश्ता बन गया था कि वो अगर आगरा आ रहे हो तो मैं गाड़ी लेकर स्टेशन चला जाता था । अगर उनको आगरा में रुकना होता था तो किसी होटल मालिक दोस्त को कह देता था और वो भी फख्र महसूस करता था कि उसके यह उदय प्रताप जी रुके है तथा कविता सुनने का लाभ भी कैसे कोई छोड़ सकता था ।अक्सर ऐसा होता था कि मैं उन्हें लेकर अपने घर आता और फिर देश के जाने माने कवि सोम ठाकुर के यहां तथा उनकी इच्छानुसार अन्य कवियों के यहां लेकर जाता था और फिर उनको छोड़ने शिकोहाबाद तक चला जाता था ।
अब भी यह नियमित। होता है कि मैं लखनऊ के उनके घर पहुंचता हूं और वो कुछ मेरी कविताएं सुनते है फिर उनकी कविताओं का दौर शुरू हो जाता है जिसको मैं लाइव भी करता हूं ताकि उनके चाहने वाले लोग भी उन रचनाओं से महरूम न हो जाए ।
मैने कुछ टूटी फूटी कविताएं लिखा जो प्रकाशित हो गई तो मेरी उस पुस्तक को आशीर्वाद देकर और उसपर लिख कर उदय प्रताप जी ने उस पुस्तक को मायने दे दिया तथा उसके लोकार्पण की अध्यक्षता कर मेरे कार्यक्रम को भव्यता प्रदान कर दिया । कैसे कोई भूल सकता है अपनी जिंदगी में उनका ये सब आशीर्वाद ।
अच्छा किया उदय प्रताप जी ने की राजधानी लखनऊ के वासी हो गए ।अब लखनऊ को साहित्यिक कार्यक्रमों की अध्यक्षता के और उन कार्यक्रमों की शोभा बढ़ाने के लिए एक सचमुच का साहित्यकार मिल गया है ।
उनसे एक रिश्ता और रहा है कि जिस पार्टी से वो 1989 में सांसद हुए मैं उस समाजवादी विचारधारा से बचपन से जुड़ा रहा हूं तथा समाजवादी पार्टी का संस्थापक सदस्य और महामंत्री तथा प्रवक्ता रहा हूं।मुलायम सिंह यादव जी को उन्होंने पढ़ाया था और 1989 से उनके राजदार और गंभीर मुद्दों पर राय बात व्यक्ति रहे तो मुलायम सिंह यादव की का मुझे भी स्नेह प्राप्त रहा और उस कारण बहुत ज्यादा ऐसा मौका रहा जब हम तीन लोगों ने साथ सफर किया तथा साथ में फैसले भी किए ।मुलायम सिंह यादव उदय प्रताप जी का बहुत समान तो करते ही थे इनपर बहुत ज्यादा भरोसा भी करते थे और अब अखिलेश यादव भी उसी परम्परा का निर्वाह कर रहे है ।
ऐसे महान व्यक्ति उदय प्रताप जी के बारे में कुछ भी लिखने की जुर्रत भी मै कैसे कर सकता हूं।
हा ईश्वर से प्रार्थना जरूर कर सकता हूं कि उनका साथ और उनकी सरपरस्ती मुझे जैसे साधारण व्यक्ति को अभी उनकी उम्र के शतक के बाद भी हासिल रहे ।
जिन साथियों ने आदरणीय उदय प्रताप जी का अभिनंदन ग्रन्थ प्रकाशित करने का फैसला किया है वो लोग बधाई के पात्र है क्योंकि उन्होंने समाज और देश की एक बहुमूल्य धरोहर को भविष्य के लिए सहेजने का वीणा उठाया है । उन साथियों को भी शुभकामनाएं और आदरणीय उदय प्रताप जी को भी हार्दिक शुभकामनाएं।
डा सी पी राय
पूर्व मंत्री
चेयरमैन
मीडिया विभाग
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ,लखनऊ
9412254400