मंगलवार, 16 जुलाई 2024

हम सभी को ही मीडिया बन जाना

#हम_खुद_मीडिया_है --

भारत की अधिकांश #मीडिया के देश और समाज से #गद्दारी करने और #फ़ासीवादी बन जाने पर 
क्या 
अब हम सभी को ही मीडिया बन जाना होगा और अपने अपने शहर गांव कस्बे की न्यूज़ सोशल मीडिया के माध्यम से सबको बताना होगा ।

1977_मे_जनता_पार्टी

#1977_मे_जनता_पार्टी की सरकार बनी थी सम्पूर्ण क्रांति के नाम पर तो दिल्ली के कुछ खास इलाके और प्रदेश के विधायक निवास गंधा गए थे 
खास तरह के जीते लोगो ने तो ये मान लिया की सम्पूर्ण क्रांति के लिये सुबह कुल्ला शराब से करो , 24 घंटे कुछ औरते और बाकी धन्धा ही सम्पूर्ण क्रांति का रास्ता है 
अब #भाजपा ने केवल कैसे भी चुनाव जीतना वर्ना कैसे भी सरकार बनाना राष्ट्रवाद मान लिया है ।

अन्ना आंदोलन

अन्ना तो अकेले थे और साधनविहीन भी थे पर कुछ दिखने वाले और कुछ न दिखाई देने वाली ताकतों ने पहले खुद भीड़ जुटाया और फिर विभिन्न माद्यमों से प्रचार कर ऐसे भी तमाम लोगों को जो या तो खुद परेशान है या परेशान तो नहीं है पर जब भी कुछ इवेन्ट होता दिखता है तो वे सभी में भाग लेना फैशन समझते है ,वे भी जो भ्रस्ताचार में लिप्त है ,सारी तरह के भ्रस्ताचार में और वे भी जिनका परिवार भ्रस्ट है ,वकील ,कर्मचारी .व्यापारी इत्यादि सभी को सड़क पर कामयाब हो गए | माहौल तो एक बार गरमा ही दिया है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता | पहले भी ऐसें माहौल को देश ने देखा है पर तब से पीढ़ी बदल गयी और देश के लोगो की याददाश्त भी कमजोर है |इसलिए देश के कुछ लोगो को ये लगना की कोई बड़ा परिवर्तन करने जा रहा है यह दिशाहीन और पैसे वालो जिन्होंने बेईमानी से ही पैसा कमाया है उनके पैसे से चलने वाला ये आन्दोलन कोई बड़ी बात नहीं है|                       
लेकिन ये तो सभी को सोचना ही पड़ेगा कि क्या कानून से ही भ्रस्ताचार ख़त्म हो जायेगा ?अगर ऐसा है तो सारे अपराधों के लिए कड़े कानून बने है तो क्या अपराध ख़त्म हो गए ?क्या महिला उत्पीडन कानून बनाने से उत्पीडन ख़त्म हो गए ?अगर ऐसा है तो सर्वोच्च न्यायालय को इस मामले में तुरंत गिरफ़्तारी ना करने और ये कहने की जरूरत क्यों पड़ी कि इससे परिवार टूट रहे है अतः पहले लोगो को मिलाने की कोशिश की जाये | लोगो को मिलाना तो कानून का नहीं बल्कि समाज का और मनोवैज्ञानिकों का काम है| इसी तरह हरिजन सुरक्षा कानून जिसे एससी ,एसटी कानून कहा जाता है उसने भी इस वर्ग की नहीं किया बल्कि इस कानून का भी ९५% दुरूपयोग अपनी दुश्मनी निकालने में किया गया और ये कानून भी अपने मकसद के बजाय इस वर्ग को समाज के अन्य वर्गों से तोड़ने वाला साबित हुआ |ऐसा बहुत से कानूनों के बारे में कहा जा सकता है |
               एक सवाल ये भी है कि क्या जनता को केवल सरकारी दफ्तरों से ही रोज काम पड़ता है?और यही लोग केवल बेईमान है बाकि लोग जिनसे आम जनता को काम पड़ता है वे सब इमानदार और समाज तथा देश भक्त है ?क्या अध्यापक इमानदार है ? क्या डॉक्टर इमानदार है?क्या वकील इमानदार है?क्या स्कूल कालेज चलाने वाले इमानदार है? क्या एन जी ओ इमानदार है ? क्या धर्मगुरु और उनके संगठन इमानदार है ? और जिनसे जनता सबसे ज्यादा पीड़ित है वे उत्पादक और व्यवसाई वे जमीन ,मकान ,दूध, सब्जी ,कपडा ,या किसी भी चीज का हो जो जनता को चाहिए वे इमानदार है ?ये मतलब बिलकुल नहीं है कि सरकारी लोग या नेता गलत है तो उन्हें नहीं पकड़ा जाये ,वे किसी कानून दायरे में नहीं आये बल्कि जिनसे जनता का कोई भी काम पड़ता है और वहा पैसे का कोई लेन देन होता है ,वे सभी इन कड़े कानूनों के दायरे में लाये जाये |                                      जब अन्ना जी देश में इतने लोकप्रिय हो गए है समाचार माध्यमों के अनुसार पूरा देश उनके साथ आ गया है और सड़क पर आ गया है और भ्रस्ताचार को ख़त्म करने को कोई भी क़ुरबानी देने को तैयार है तो कानून बनाने से जो काम नहीं हो सकता अन्ना वो चमत्कार कर सकते है अपनी लोकप्रियता और जनता कि भ्रस्ताचार ख़त्म करने कि इस परम इच्छा इच्छा के कारण | ज्यादा कुछ नहीं करना है बस पूरे देश इस आन्दोलन का साथ देने वालो को कसम खिलाना है रोज सुबह कि १-इस आन्दोलन का साथ देने वाले सभी आज से घूस न लेंगे न देंगे ,कोई भी गलत काम न करेंगे न करने देंगे ,     
      

संसद और संविधान कल मुस्कराए

कल संसद और संविधान स्वतंत्र होकर मुस्कराए 

संसद में कल का दिन केवल और केवल प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी का रहा । 
नई भूमिका में का प्रारंभ करते ही उन्होंने बहुत आत्मविश्वास के साथ बहुत गंभीर और जिम्मेदारीपूर्ण तथा रणनीतिक हमला किया सरकार पर , भाजपा और संघ पर की पूरी सरकार लगातार तिलमिलाती रही पर लाचार दिखती रही । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो बार ,अमित शाह ,राजनाथ सिंह सहित कई मंत्रियों को राहुल गांधी के भाषण में बार बार उठ उठ कर टोकातकी करना पड़ा और अमित शाह तो अध्यक्ष से संरक्षण मागते हुए भी एक बार दिखाई पड़े जिनके खड़े होने पर पहले कोई बोलता नही था । इसी तरह भूपेंद्र यादव सहित कुछ लोगो ने नियमावली से राहुल गांधी को घेरने की कोशिश किया तो तो कई बार प्रमाणित करने के नाम पर परंतु राहुल गांधी पूरी तैयारी से आए थे इसलिए रुके नहीं । जब भी किसी ने भी टोकने की कोशिश किया राहुल गांधी ने पूरी सजगता से वही उसी समय उसका सटीक जवाब देकर ये बता दिया की पिछले सालो में संघी ट्रोल आर्मी द्वारा उनकी बारे में जो कुछ भी गढ़ा गया था वो ध्वस्त होने वाला है और आने वाला समय ससद में सरकार के लिए पिछले दस साल की भाती इतना आसान नहीं होगा और अब बिना काम किया केवल डरा कर , लोकसभा अध्यक्ष की ताकत का मानना दुरुपयोग कर और केवल जुमलो के सहारे संसद तथा सरकार नही चल पाएगी । 
ये अलग बात है की बिकाऊ सुपारी मीडिया अभी भी सुधरने का नाम नहीं ले  रहा है और संसद तथा लोकतंत्र का भी अपमान करते हुए उसने पूरे से राहुल गांधी को एक धर्म का अपराधी सिद्ध करने में पूरी ताकत लगा दिया । पहले ही सुपारी मीडिया को लोगो ने देखना बंद कर दिया है आगे इनका और पतन होगा जनता को अदालत में क्योंकि समानांतर मीडिया , यूट्यूब और वाट्सअप के माध्यम से राहुल गांधी का भाषण इतना अधिक देखा गया और लगातार देखा जा रहा है की एक नया रिकॉर्ड बन जाने की सभावना है ।
राहुल गांधी ने कल धर्म जैसे विषय को अपने तरीके से परिभाषित किया और उसके द्वारा उन्होंने शिव , बुद्ध , महावीर,  ईशा और मुस्लिम धर्म को एक साथ रख कर एक ही संदेश का वाहक सिद्ध किया तथा सभी आशीर्वाद वाली मुद्रा के हाथ को अभय मुद्रा बताते हुए बड़ी खूबसूरती से कांग्रेस के साथ जोड़ दिया तथा संदेश देने में कामयाब रहे की सभी धर्मो का संदेश है सत्य और अहिंसा तथा "डरो मत और डराओ मत" और यही कांग्रेस की विचारधारा है तथा सम्पूर्ण इंडिया गठबंधन की विचारधारा है । जब शिव की तस्वीर दिखाने पर लोकसभा अध्यक्ष  तथा भाजपा ने विरोध किया तो तुरंत हाजिरजवाबी का परिचय देते हुए राहुल गांधी ने कई बार पूछ लिया की क्या यह शिव की तस्वीर लाना गलत है तो अध्यक्ष तथा सत्ता दोनो अपने को घिरता  महसूस कर चुप हो गए और पिछले लोकसभा की भांति उसे कार्यवाही से निकलने की मांग करने की या निर्देश देने की हिम्मत भी किसी की भी नही हुई । राहुल गांधी द्वारा अभय मुद्रा का बार बार जिक्र जानबूझ कर किया गया और  ये मुद्दा संघ तथा भाजपा पर करारा हमला तब बन गया जब उन्होंने कहा की हिंदू धर्म अहिंसक है और वो हिंसा कर ही सकता है पर संघ और भाजपा लगातार देश मे हिंसा कर रही है तथा उसको बढ़ावा दे रही है ।ये संगठन देश को डरा कर रखना चाहते है पर हमने उसी के खिलाफ लड़ाई छेड़ दिया और जनता ने वोट से संदेश दे दिया । 
उन्होंने हमला करते हुए कहा की भाजपा  सरकार पिछले दस साल से संविधान और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है इसलिए इंडिया गठबंधन ने संविधान को बचाने का प्रण ले लिए और जनता इस लड़ाई में साथ खड़ी हो गई ।
राहुल गांधी ने अपने हमले की शुरुवात सीधे लोकसभा अध्यक्ष पर हमले से किया जब उन्होंने कहा की अध्यक्ष के आसन पर दो व्यक्ति बैठे है एक अध्यक्ष और दूसरे ओम बिड़ला क्यों जब अध्यक्ष चुने जाने के बाद नरेंद्र मोदी और वो स्वयं उन्हें आसन तक पहुंचाने गए तो बिड़ला जी ने मोदी जी से झुक कर हाथ मिलाया पर उनसे तने रहकर । ये दोहरा व्यवहार था । इसपर बिड़ला जी ने जब सफाई देने की कोशिश किया की मोदी जी बड़े है इसलिए वो झुके तो तुरंत राहुल जी ने उन्हे फिर कटघरे में खड़ा कर दिया ये कहते हुए की लोकसभा में सबसे बड़े लोकसभा अध्यक्ष है और उनसे बड़ा कोई नही है इसलिए उन्हें किसी के सामने नही झुकना चाहिए ।
राहुल गांधी ने पिछले दस साल जो जो मुद्दे थे सब एक एक कर धारदार तरीके से उठाया । उन्होंने अग्निवीर पर सरकार को घेरा तो रक्षामंत्री राजनाथ सिंह खड़े हो गए पर राहुल गांधी ने बड़ी होशियारी से ये कहते हुए उन्हें निरुत्तर कर दिया की आप कुछ कहो और में कुछ कहूं इससे क्या फर्क पड़ता है क्योंकि अग्निववीर की सच्चाई खुद अग्निवीर जानते है और सेना भी जानती है । जब उन्होंने किसानों को आतंकवादी कहने का और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश नही मानने तथा एम एस पी नही देने का सवाल उठाया तो शिवराज सिंह चौहान उठ खड़े हुए पर उनको भी काउंटर अटैक से राहुल ने निरुत्तर कर दिया ।
राहुल गांधी ने नीट परीक्षा , किसान , मणिपुर,,बेरोजगारी , नोटबंदी, जी एस टी, हिंसा , ,भय , अयोध्या ,गुजरात , जम्मू कश्मीर,लद्दाख , अडानी , अंबानी इत्यादि हर मुद्दे पर धारदार तरीके से सरकार को घेरा पर हमेशा को तरह इस बार न तो अध्यक्ष ने तेवर दिखा कर रोका और तुरंत भाषण का कोई हिस्सा स्पंज किया तथा न ही सत्ता पक्ष ने कोई हिस्सा हटाने की मांग किया । पर हो सकता है की बाद में उनके भाषण के कुछ हिस्से कार्यवाही से स्पंज कर दिए जाएं लेकिन उसका ये फायदा तो होगा की इतिहास के पन्नो में वो दर्ज नहीं रहेंगे लेकिन तीर तो कमान से निकल चुका है और अपने निशाने पर लग चुका है । करोड़ों की संख्या में देश की जनता सुन चुकी है तथा पूरा वीडियो करोड़ों लोगो के पास है जो इतिहास से मिटने नही देगा । 
दस सालो बाद कल संसद में लोकतंत्र  जिंदा दिखाई पड़ा । दस सालो बाद कल पक्ष और विपक्ष में संतुलन बनता दिखा । दस सालो बाद कल लोकसभा अध्यक्ष सत्ता के दबाव को भी कई बार किनारे करते दिखे । जी हा दस साल बाद कल संसद और संविधान दोनो मुस्कराते हुए दिखलाई पड़े स्वतंत्र और स्वच्छंद रूप से मुस्कराते हुए । 

डा सी पी राय 
पूर्व मंत्री 
चेयरमैन 
मीडिया विभाग 
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी