समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
सोमवार, 17 मई 2010
अमर सिंह
अमर सिंह को अब बहुत दर्द हो रहा है .अब उन्हें लग रहा है की उनका अपमान हुआ है .जब ओ बढ़ चढ़ कर लोगो को गालिया दे रहे थे तो बहुत मजा आ रहा था .वो सोनिया गाँधी जिसने महात्मा गाँधी के बाद सबसे बड़ा बलिदान दिया ,अपने सुहाग का भी और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री पद का भी ,जब उनको गरूर में आकर कभी रीडर तो कभी कपडे उतर गए जैसी भाषा बोली थी ,जिनके पाव की धूल आज मंगाते घूम रहे है तब कैसा लग रहा था यह जरूर बताना चाहिए .क्या उन्होंने मान लिया था की मुलायम सिंह जो लोगो को इस्तेमाल करने के सबसे बड़े हुनरमंद है वे उनके स्थाई गुलाम हो गए है .बिना कुछ किये बस थोड़ी सी सुख सुविधाए जुटाना और बिचौलिए की भूमिका में बड़ा भाग अपने घर और थोडा सा नेताजी को देकर क्या आपने अपना स्थाई राज काज समझ लिया था ?जब चुन चुन कर आपने समाजवादी पार्टी की स्थापना करने वालो को बाहर करवाया था ,उन्हें अपमानित करवाया था ,यधपि इस गुनाह में खुद नेताजी और उनके परिवार के वे लोग जो यदि नेता जी के घर में पैदा नहीं हुए होते तो कोई प्राइमरी स्कूल में मास्टर होता तो कोई छोटी मोती दुकान चला रहा होता वे भी बढ़ चढ़ कर जिम्मेदार है .इन सभी लोगो ने बिना कुछ किये ,बिना कुछ खोये सब कुछ पाया है .इन लोगो को पता ही नहीं है की तमाम योग्यताओ के बावजूद कुछ लोगो ने सद्धान्तिक भावनाओ में बह कर बहुत कुछ गवाया है .बहुत लोग नेता और नारे के प्रति आस्था के कारन बर्बाद हो गए .उनके घर बिक गए ,उन्होंने बच्चो को साधारण स्कूलों में इसलिए पढाया क्योकि उनका तमाम पैसा पार्टी को मजबूत करने में लग गया .जब जब सत्ता आई तो सबके दरवाजे बंद हो गए ,पूरा परिवार और उनके निचे तक फैले तमाम दलाल केवल लूट पाट में लगे रहे ,कही से भी पैसा आये ,किसी भी तरह पैसा आये चाहे गैर कानूनी कार्यो से ही सही .अमर सिंह जी आप भी तमाम उन चीजो में शामिल थे जो राजनीती तथा समाज में स्वीकार नहीं है .इसीलिए जनता ने आप सब को उचित रास्ता दिखा दिया.इससे बुरा दिन क्या आयेगा की नेताजी जो विधानसभा सीट केवल ६००० वोट से जीते थे उसे १५००० वोट से हारे .सभी यादव बहुल सीटे हर गए ,घर की सीटे हर गए .अब लोग आपको नेता क्यों माने .जन आपके साथ रहा नहीं .सपने आपने तोड़ दिए ,सिद्धांत आपने छोड़ दिए और संकल्प की शक्ति कमजोर हो गयी क्योकि आपने सबको केवल धोखा दिया है .नेताजी हो या अमर कभी तो आप की आत्मा धिक्कारती होगी की आप लोगो ने बहुतो को बर्बाद किया है .यदि परिवार हर च्रीज का जवाब होता तो लोग बड़ी बड़ी सुविधाए देकर ज्ञानी लोगो की भर्ती नहीं करते .बहुत से कर्मो की सजा यही मिल जाती है और मिलती रहती है .हम जैसे धोखा खाए और सताए लोग भी मिटते नहीं है फिर खड़े होने रास्ता तलाश ही लेते है बिना बिके बिना डिगे .समझे नेताजी ,समझे अमरजी .हो सके तो प्रायश्चित करिए .नेताजी आपके परिवार के अयोग्य लोग बहुत पा चुके है उन्हें अब अपना अपना मूल काम करने भेज दीजिये और अमरजी (में यही भाषा लिखूंगा क्योकि मेरे माँ बाप ने यही सिखाया है अपनी आप जाने )आप राज्यसभा से इस्तीफ़ा देकर जो काफी हो गया है अब वही सम्हालिए .बिन मांगे सलाह दे रहा हूँ .माफ़ कीजियेगा आप सबने बहुत चोट दी है ,जख्म मन को क्या ,आत्मा को क्या, खून के कतरे कतरे को घायल किये हुए है समझे अमरजी समझे नेताजी और समझाने की कोशिश करो आज के तथकथित राजकुमारों तथा नकली प्रोफेसरों .यह तो जानते ही होगे की प्रोफ़ेसर केवल विश्व विद्दालयो में होते है .बुरा लगेगा लेकिन झेल लेना क्योकि लाखो ने बहुत कुछ झेला है ,एक मे भी हूँ .सच तो यह है की यह मेरी तथा मेरे जैसो की कहानी है.हजारो लोगो की क़ुरबानी और बर्बादी पर आप सब कुछ बने हो.दिल दुखाना नहीं जगाना मेरा उद्देश्य है. भूल गए होगे पुराना संबोधन ;क्रन्तिकारी अभिवादन के साथ आपका बहुत पुराना साथी .सी पी राय.
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